The Ultimate Guide To Shodashi
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Shodashi’s mantra encourages self-self-control and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate bigger Manage in excess of their ideas and actions, leading to a more mindful and purposeful method of everyday living. This gain supports personalized progress and self-willpower.
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
It's an experience of the universe in the unity of consciousness. Even in our regular state of consciousness, Tripurasundari could be the magnificence that we see in the world all around us. Regardless of what we understand externally as stunning resonates deep within.
गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
This Sadhna evokes countless strengths for all round economical prosperity and steadiness. Growth of small business, identify and fame, blesses with very long and prosperous married daily life (Shodashi Mahavidya). The outcomes are realised immediately once the accomplishment on the Sadhna.
श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥
यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। more info जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।